
परवरिश
बच्चे की देखभाल करना आसान काम नहीं है, उसकी सारी जिम्मेदारी और संपूर्ण पोषण पैरेंट्स पर ही निर्भर करती है। नवजात की देखभाल कैसे करें, टीकाकरण कब-कब करायें, बच्चों को होने वाली समस्यायें, आदि सवालों के जवाब आपको यहां मिलेंगे। अगर परवरिश को लेकर आपके मन में कोई सवाल हो तो यहां पूछें।
OMH Expert (owner)
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Health and lifestyle Related Question on परवरिश
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PROF M R JAIN
View All Answers (2)A. Read always in sitting posture with proper light...table lamp. Sit at a minimum distance of 6 feet from TV. Eat lot of green vegetables and dry fruits...Bidam. Carrot juice is excellent. Leafy vegetables are very good and so is tomatoes. Papita is a very good fruit and must be eaten every day
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admin
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एक शोध के मुताबिक अगर बच्चों को ओमेगा 3 फैटी एसिड युक्त आहारों का सेवन कराया जाए तो उनकी अक्रामकता को नियंत्रित किया जा सकता है। 11 से 12 साल के 290 बच्चों और उनके आक्रामक व्यवहारों पर शोध करने वालें वैज्ञानिकों के अनुसार बच्चों के आहार में ओमेगा-3, विटामिन, खनिज की खुराक शामिल करने से उनके आक्रामक और असामाजिक व्यवहार में कमी लाई जा सकती है। शोधकर्ताओं का कहना है कि इन जिन बच्चों को संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी और ओमेगा-3 अनुपूरक का संयोजन दिया गया। ऐसे बच्चों में अन्य बच्चों की तुलना में कम आक्रामकता पाई गई।
शोधकर्ता थेरेस रिचमंड ने बताया, ओमेगा-3 फैटी एसिड स्वाभाविक रूप से फैटी मछली जैसे टूना, समुद्री खाद्य पदार्थो और कुछ नट तथा बीजों में पाए जाते हैं।लगातार तीन महीनों तक ओमेगा-3 युक्त आहार देने पर बच्चों के व्यवहार में आक्रामकता काफी हद तक कम हुई।- Like 0
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admin
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शिशु का थोड़ी-थोड़ी देर में चिड़चिड़ाना और रोना आमतौर पर गंभीर बात नहीं होती है। ज्यादातर शिशु हर रोज कुल एक घंटे से लेकर तीन घंटे तक के समय के लिए रोते हैं। नॉर्थवेस्टर्न विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा एक शोध में सामने आया कि अगर आपका शिशु अधिक चिड़चिड़ा है तो यह किसी मानसिक समस्या का संकेत भी हो सकता है। जब शिशु में चिड़चिड़ापन अक्सर होने लगे तो इसका अर्थ है कि वह मानसिक रूप से संघर्ष कर रहा है। शोधकर्ताओं ने तीन से पांच साल के प्री स्कूल जाने वाले 1500 बच्चों के अभिभावकों से उनके बच्चों के व्यहार के सम्बंध में प्रश्न पूछने के लिए 'मल्टीडाइमेंशनल एसेसमेंट ऑफ प्रीस्कूल डिस्रपटिव बिहैवियर' (एमएपी-डीबी) नामक प्रश्नावली विकसित की।शोध में पाया गया कि बच्चों में चिड़चिड़ापन पाया गया। 10 प्रतिशत से कम बच्चे रोज झल्लाते थे और चिड़चिड़ापन दिखाते थे। यह लक्षण लड़के एवं लड़कियों दोनों में ही एक जैसा पाया गया।
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Kunal
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आजकल बच्चे कंप्यूटर, टैबलेट और स्मार्ट फोन के स्क्रीन पर अपनी नजरें गढ़ाए रखते हैं। इससे बच्चों की नजरें कमजोर होने लगती है। हालांकि कमजोर नजरों को पूरी तरह ठीक नहीं किया जा सकता, लेकिन उनमें सुधार किया जा सकता है। उचित उपचार, नेत्र देखभाल और निर्धारित चश्मे के अलावा, कुछ सरल और प्रभावी तरीकों के साथ आप अपने बच्चे की दृष्टि में वृद्धि कर सकते हैं।
संतुलित खानपान आंखों के लिए बहुत जरूरी है। अपने बच्चों की आंखों के लिए उसके आहार में विटामिन ए को प्रचुर मात्रा में शामिल करें। यह दूध और दूध से बने पदार्थों, मछली, अंडे, रंगीन फलों और हरी सब्जियों में पाया जाता है। साथ ही बच्चों के खाने में विटामिन सी, डी और ई से युक्त चीजों को शामिल करें। इसके अलावा आंखों की एक्सरसाइज करें। एक्सरसाइज काफी सरल और मजेदार है। इस एक्सरसाइज को करने के लिए अपने बच्चे को दीवार की तरफ मुंह करने के लिए कहें। अब अपने बच्चे को वास्तव में लिखने के बिना आंखों के साथ कुछ भी लिखने के लिए कहें। लेकिन ध्यान रखें कि आपका बच्चा सिर न हिलाये। कई अलग-अलग प्रकार के अक्षरों को आकार देने के लिए सिर्फ आंखों को चलाये। यह आंखों की मांसपेशियों को मजबूत बनाने में मदद करता है, जो नजरों के लिए बहुत अच्छा होता है।- Like 0
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Pooja
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अगर बच्चा 5 से 7 साल की उम्र के बाद भी बिस्तार पर पेशाब करता है तो उसे डॉक्टर को दिखाना चाहिए। कुछ कमियां जैसे टॉयलेट ट्रेनिंग के अभाव या बार-बार पेशाब, या बहुत ज्यादा मात्रा में पेशाब करने के कारण ऐसा होता है। हालांकि डॉक्टर से बातचीत पर पता चलता कि वह पेशाब की मात्रा नॉर्मल से बहुत ज्यादा है। बहुत से ऐसे लक्षण होते हैं जो हमें पता नहीं चलते लेकिन डॉक्टर से बातचीत से पता चलता है। इसलिए इसे सिर्फ बेड वेटिंग समझकर छोड़ न दें बल्कि डॉक्टर से संपर्क करें। साथ ही इस बात का भी ध्यान रखें कि बेड वेटिंग के लिए बच्चे को डॉटें नहीं बल्कि समझें कि यह एक अंदुरूनी समस्या है।
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Pooja
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नवजात डायपर को जल्दी-जल्दी गीला करते हैं इसलिए इसको बार-बार बदलने की जरूरत पड़ती है। लेकिन छोटे बच्चों की त्वचा इतनी कोमल होती है कि उसपर किसी भी चीज से जल्द इंफेक्शन हो जाता है इसलिए डायपर बदलते समय बहुत सावधानी की जरूरत होती है। नवजात को साफ कॉटन या रूई और गर्म पानी से नमी वाले भाग को अच्छी तरह से साफ करें और पानी को पूरी तरह से सूखने दीजिए।जब आप बच्चे का डायपर बदल रहे हो तो उसे खेलने के लिए खिलौने दें। डाइपर को शरीर पर थोड़ा ढीला कर बांधें, ताकि उसकी त्वचा पर निशान न बनें।
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Harish
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शिशु के खाना खाने के दौरान हवा भी अन्दर (पेट में) चली जाती है, अत्यधिक गैस आपके बच्चे पेट में दर्द का कारण बन सकता है। इसलिए गैस से राहत देने के लिए डकार दिलवाने की जरूरत होती है। बच्चे को डकार दिलाने के लिए डकार लेने की क्रिया को अपने बच्चे की पीठ को हल्के हाथ से थपथपाने के द्वारा करें। हल्के हाथ से हिलाते हुए अपने बच्चे की पीठ को थपथपाएं और रगड़ते हुए इस युक्ति को करें।
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Pooja
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लड़का-लड़की केवल ट्विन्स होते हैं ना कि आइडेंटीकल ट्विन्स। ट्वीन्स फ्रेटरनल तरीके से बनते हैं जबकि, आईडेंडटिकल ट्वीन्स एक ही जेगोट से बनते है। आइडेंटिकल ट्विन्स व्यवहार, नाक-नक्श और शक्ल-सुरत में एक होते हैं जो कि फ्रेटनल ट्विन्स के साथ ऐसा नहीं है।
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Onlymyhealth Team
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मां के दूध को नवजात के लिए सर्वोत्तम माना जाता है क्योंकि इसमें पाया जाने वाला कोलेस्ट्रॉम नामक पदार्थ बच्चे के स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी है और यह बच्चे को भविष्य में बीमारियों से भी बचाता है। इसलिए जन्म के बाद बच्चे को मां का दूध पिलाना चाहिए।नवजात शिशु के शरीर को हमेशा ढककर रखना चाहिए क्यों कि छोटे बच्चों का शरीर बाहरी तापमान के अनुसार स्वयं को ढाल नहीं पाता है। नवजात जहां हो वहां का तापमान 37 डिग्री सेल्सियस के आसपास होना चाहिए।
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Raghav
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बच्चे को घर पर अकेले छोड़कर जाना किसी मुसीबत को बुलाने से कम नहीं है, लेकिन अगर आपको लगता है कि आपका बच्चा समझदार हो गया है और वह अकेले घर पर रह सकता है तो कुछ जरूरी बातें बताकर अकेले उसे घर पर रख सकते हैं और अपने काम के लिए बाहर जा सकते हैं। तो बच्चे को घर पर अकेला छोड़ने से पहले उसे कुछ जरूरी बातें बताकर जायें। बच्चे को घर पर अकेला छोड़ते समय सभी जरूरी नंबरों की एक लिस्ट रख कर जाइये। इस लिस्ट में आपका नंबंर होने के अलावा सारे इमरजेंसी नंबर होने चाहिए जिससे जरुरत के समय आपके बच्चे आपको फोन मिलाकर स्थिति की जानकारी दे सकें। अगर आप बाहर जा रहे हैं तो बच्चे को कमरे में लॉक करके बिलकुल भी न जायें। बच्चों को घर में बंद करके जाने के बजाय उन्हें कुछ जानकारी दीजिए, उन्हें बताइये कि क्या करना सही है क्या गलत है। अगर आप बच्चे को घर में अकेला छोड़ रहे हैं तो किचन से उन्हें दूर रखिये।
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Dr. Pulkit Sharma
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मैं समझ सकता हूं कि बच्चे की इन खूबियों के साथ इस तरह की बातें सुनने से आप आहत हैं और इसके बारे में जानने को इच्छुक भी हैं। सबसे पहले आप उस शिक्षक से मिलकर 'सामाजिक मुद्दों' के मसले पर बात करें, उससे पूछें कि जिन मुद्दों के बारे में वह बता रही है वाह वास्तव में हैं क्या। जहां तक मुझे पता है इन सामाजिक मुद्दों का मतलब है - शर्मीलापन, निकासी, सीमाओं की कमी, निषेध, चिंता, कौशल और आक्रामकता की कमी। एक बार जब आप इसे अच्छे से समझ जायें, तब अपने बच्चे से इस मुद्दे पर बात करें। आप उसके अंदर छिपी हुई प्रतिभा को निखारने में मदद कर सकते हैं।
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Dr. Pulkit Sharma
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अपने पुत्र और अपनी मातृभूमि के बीच में से एक को चुनना बहुत मुश्किल काम है। हालांकि आप दोनों पिता-पुत्र के बीच में आपसी तालमेल बहुत अच्छा है। यह ऐसा बंधन है जो जीवन के हर कदम पर एक-दूसरे का साथ चाहेगा। हालांकि आपका लड़का चाहता है कि आप उसके साथ चलें और उसके आगे के जीवन का हिस्सा बने रहें तो इसमें कोई बुराई नहीं है। मुझे लगता है कि जैसे पहले आप एक मजबूत स्तंभ की तरह उसके साथ थे, भविष्य में भी उसका साथ दें। आपने जो निर्णय लिया है उसपर पुनर्विचार कीजिए।
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Dr. Pulkit Sharma
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मेरी सलाह आपके लिए है कि हर तरह के निषेध पर काबू पाने की कोशिश कीजिए। आप अपनी बेटी को बहुत अच्छी तरह से समझते हैं और उसके साथ अच्छे से और प्रभावी तरीके से अपनी बात रख सकते हैं। सामान्यतया हम इस मुद्दे पर शरमाते हैं और इसके बारे में हमारे पास भरपूर शब्द भी नहीं होते हैं। एकबार आप इस शर्मीलेपन से बाहर निकल गये तो आपके पास शब्दों की कमी नहीं रहेगी और आप अपनी बेटी को अच्छे से जानकारी दे पायेंगे।
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Team OMH
February 1, 2017 View All Answers (1)A. आप अपने खानपान में हेल्दी चीजों को शामिल करें। खराब और दूषित खानपान से बचें। अधिक जानकारी के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर पढ़ सकते हैं। http://www.onlymyhealth.com/urine-garbhawastha-janch-banam-rakt-garbhawastha-janch-